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मन की मिटेगी तृष्णा, भज ले तू गोपाल कृष्णा...

मन की मिटेगी तृष्णा, भज ले तू गोपाल कृष्णा...

वो ही घट के अंदर बैठा वो ही चहूँ और है,
वो ही पतझर वो ही सावन, साँझ वहीं वो भोर है,
वो ही कर्ता वो ही कर्म है ,कितना कमाल कृष्णा...

तेरे सर पे सुख की छाया केवल वहीं कर सकता है,
तेरे मन के सूनेपन को केवल वहीं भर सकता है,
तुझको गिरने से पहले ही लेगा सम्भाल कृष्णा...

गोबिंद माधव कृष्ण मुरारी चाहे कोई नाम लो,
बंसी वाला वो मनमोहन दामन उसका थाम लो,
शरणागत जो होते उनका रखता ख्याल कृष्णा...

मन की मिटेगी तृष्णा, भज ले तू गोपाल कृष्णा...



man ki mitegi tarashna, bhaj le too gopaal krishnaa...

man ki mitegi tarashna, bhaj le too gopaal krishnaa...

vo hi ghat ke andar baitha vo hi chahoon aur hai,
vo hi patjhar vo hi saavan, saanjh vaheen vo bhor hai,
vo hi karta vo hi karm hai ,kitana kamaal krishnaa...

tere sar pe sukh ki chhaaya keval vaheen kar sakata hai,
tere man ke soonepan ko keval vaheen bhar sakata hai,
tujhako girane se pahale hi lega sambhaal krishnaa...

gobind maadhav krishn muraari chaahe koi naam lo,
bansi vaala vo manamohan daaman usaka thaam lo,
sharanaagat jo hote unaka rkhata khyaal krishnaa...

man ki mitegi tarashna, bhaj le too gopaal krishnaa...



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