अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि।।1.11।।
।।1.11।।आप सबकेसब लोग सभी मोर्चोंपर अपनीअपनी जगह दृढ़तासे स्थित रहते हुए ही पितामह भीष्मकी चारों ओरसे रक्षा करें।
।।1.11।।विभिन्न मोर्चों पर अपनेअपने स्थान पर स्थित रहते हुए आप सब लोग भीष्म पितामह की ही सब ओर से रक्षा करें।