तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान्।।1.12।।
।।1.12।।दुर्योधनके हृदयमें हर्ष उत्पन्न करते हुए कुरुवृद्ध प्रभावशाली पितामह भीष्मने सिंहके समान गरजकर जोरसे शंख बजाया।
।।1.12।।उस समय कौरवों में वृद्ध प्रतापी पितामह भीष्म ने उस (दुर्योधन) के हृदय में हर्ष उत्पन्न करते हुये उच्च स्वर में गरज कर शंखध्वनि की।