अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः।
नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ।।1.16।।
।।1.16।।कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिरने अनन्तविजय नामक शंख बजाया तथा नकुल और सहदेवने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये।
।।1.16।।कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्त विजय नामक शंख और नकुल व सहदेव ने क्रमश सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये।
।।1.16।। व्याख्या अनन्तविजयं राजा ৷৷. सुघोषमणिपुष्पकौ अर्जुन भीम और युधिष्ठिर ये तीनों कुन्तीके पुत्र हैं तथा नकुल और सहदेव ये दोनों माद्रीके पुत्र हैं यह विभाग दिखानेके लिये ही यहाँ युधिष्ठिरके लिये कुन्तीपुत्र विशेषण दिया गया है।युधिष्ठिरको राजा कहनेका तात्पर्य है कि युधिष्ठिरजी वनवासके पहले अपने आधे राज्य(इन्द्रप्रस्थ) के राजा थे और नियमके अनुसार बारह वर्ष वनवास और एक वर्ष अज्ञातवासके बाद वे राजा होने चाहिये थे। राजा विशेषण देकर सञ्जय यह भी संकेत करना चाहते हैं कि आगे चलकर धर्मराज युधिष्ठिर ही सम्पूर्ण पृथ्वीमण्डलके राजा होंगे।
।।1.16।। No commentary.