सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः।।1.42।।
।।1.42।।वर्णसंकर कुलघातियोंको और कुलको नरकमें ले जानेवाला ही होता है। श्राद्ध और तर्पण न मिलनेसे इन(कुलघातियों) के पितर भी अपने स्थानसे गिर जाते हैं।
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