युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।1.6।।
।।1.6।।पराक्रमी युधामन्यु बलवान् उत्तमौजा सुभद्रापुत्र (अभिमन्यु) और द्रोपदी के पुत्र ये सब महारथी हैं।
।।1.6।। इन तीन श्लोकों में पाण्डवसैन्य के प्रमुख एवं प्रसिद्ध योद्धाओं की नामावली है। पाण्डवों की सेना का निरीक्षण करते समय दुर्योधन उनमें अनेक महारथियों को पहचानता है। प्राचीन हिन्दू सेनाओं में 11000 धनुर्धारी सैनिकों के समूह के नायक को महारथी कहा जाता था।अर्जुन और भीम अपने समय के धनुर्विद्या और शक्ति के लिये प्रसिद्ध योद्धा थे। दुर्योधन कहता है कि सभी महारथी अर्जुन और भीम के समान हैं जिसका तात्पर्य यह है कि यद्यपि पाण्डवों की सेना संख्या में कम थी परन्तु सार्मथ्य में वह कौरवों की सुसज्जित और विशाल सेना से अधिक थी।