अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः।।1.9।।
।।1.9।।इनके अतिरिक्त बहुतसे शूरवीर हैं? जिन्होंने मेरे लिये अपने जीनेकी इच्छाका भी त्याग कर दिया है और जो अनेक प्रकारके शस्त्रअस्त्रोंको चलानेवाले हैं तथा जो सबकेसब युद्धकलामें अत्यन्त चतुर हैं।
।।1.9।।मेरे लिए प्राण त्याग करने के लिए तैयार अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित तथा युद्ध में कुशल और भी अनेक शूर वीर हैं।
1.9।। व्याख्या अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः मैंने अभीतक अपनी सेनाके जितने शूरवीरोंके नाम लिये हैं उनके अतिरिक्त भी हमारी सेनामें बाह्लीक शल्य भगदत्त जयद्रथ आदि बहुतसे शूरवीर महारथी हैं जो मेरी भलाईके लिये मेरी ओरसे लड़नेके लिये अपने जीनेकी इच्छाका त्याग करके यहाँ आये हैं। वे मेरी विजयके लिये मर भले ही जायँ पर युद्धसे हटेंगे नहीं। उनकी मैं आपके सामने क्या कृतज्ञता प्रकट करूँ नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ये सभी लोग हाथमें रखकर प्रहार करनेवाले तलवार गदा त्रिशूल आदि नाना प्रकारके शस्त्रोंकी कलामें निपुण हैं और हाथसे फेंककर प्रहार करनेवाले बाण तोमर शक्ति आदि अस्त्रोंकी कलामें भी निपुण हैं। युद्ध कैसे करना चाहिये किस तरहसे किस पैंतरेसे और किस युक्तिसे युद्ध करना चाहिये सेनाको किस तरह खड़ी करनी चाहिये आदि युद्धकी कलाओंमें भी ये बड़े निपुण हैं कुशल हैं। सम्बन्ध दुर्योधनकी बातें सुनकर जब द्रोणाचार्य कुछ भी नहीं बोले तब अपनी चालाकी न चल सकनेसे दुर्योधनके मनमें क्या विचार आता है इसको सञ्जय आगे के श्लोकमें कहते हैं (टिप्पणी प0 9) ।
।।1.9।। एक अत्याचारी तानाशाह का गर्व और दम्भ देखो कितना है कि वह कहता है कि इतनी विशाल सेना और उसके प्रमुख वीर मेरे लिये प्राणोत्सर्ग करने के लिये तैयार हैं। महाभारत के सजग अध्येता जानते हैं कि यदि भीष्म पितामह कौरवों की ओर से युद्ध न करते तो कितने लोग वास्तव में दुर्योधन के लिये प्राणदान के लिये तैयार होते भीष्म के द्वारा हमारी रक्षित सेना अपर्याप्त है किन्तु भीम द्वारा रक्षित उनकी सेना पर्याप्त है अथवा