श्री भगवानुवाच
भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया।।10.1।।
।।10.1।। श्रीभगवान् ने कहा -- हे महाबाहो पुन तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो? जो मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिये हित की इच्छा से कहूँगा।।
Hari OM! This chapter is narrated by Lord Krishna for the benefit of increasing reflection and meditation on the Supreme Lord and for the special incentive of revealing His resplendent glories. Just by hearing or reading these pleasing and delightful verses gives one great satisfaction.