तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।10.10।।
।।10.10।।उन नित्यनिरन्तर मेरेमें लगे हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करनेवाले भक्तोंको मैं वह बुद्धियोग देता हूँ? जिससे उनको मेरी प्राप्ति हो जाती है।
।।10.10।। उन (मुझ से) नित्य युक्त हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करने वाले भक्तों को? मैं वह बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त होते हैं।।