पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः।।10.24।।
।।10.24।।हे पार्थ पुरोहितोंमें मुख्य बृहस्पतिको मेरा स्वरूप समझो। सेनापतियोंमें स्कन्द और जलाशयोंमें समुद्र मैं हूँ।
।।10.24।। हे पार्थ पुरोहितों में मुझे बृहस्पति जानो मैं सेनापतियों में स्कन्द और जलाशयों में समुद्र हूँ।।