आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः।।10.28।।
।।10.28।।आयुधोंमें वज्र और धेनुओंमें कामधेनु मैं हूँ। सन्तानउत्पत्तिका हेतु कामदेव मैं हूँ और सर्पोंमें वासुकि मैं हूँ।
।।10.28।। मैं शस्त्रों में वज्र और धेनुओं (गायों) में कामधेनु हूँ? प्रजा उत्पत्ति का हेतु कन्दर्प (कामदेव) मैं हूँ और सर्पों में वासुकि हूँ।।