अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्।
पितृ़णामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्।।10.29।।
।।10.29।। मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) हूँ और जल देवताओं में वरुण हूँ मैं पितरों में अर्यमा हँ और नियमन करने वालों में यम हूँ।।
Lord Krishna reveals that His vibhuti or divine, transcendental opulence among naganam is Ananta. Naganam means non-poisonous serpents with many heads. The word yadasam means aquatics or inhabitants of water and of punishers and chastisers His vibhuti is Yamaraja.