प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।।10.30।।
।।10.30।।दैत्योंमें प्रह्लाद और गणना करनेवालोंमें काल मैं हूँ। पशुओंमें सिंह और पक्षियोंमें गरुड मैं हूँ।
Lord Krishnas vibhuti or divine, transcendental opulence of subjugators is kalah or time. Kalah also denotes mrtyu or death which is the most powerful subjugator subduing all.