दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम्।
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम्।।10.38।।
।।10.38।।दमन करनेवालोंमें दण्डनीति और विजय चाहनेवालोंमें नीति मैं हूँ। गोपनीय भावोंमें मौन और ज्ञानवानोंमें ज्ञान मैं हूँ।
।।10.38।। मैं दमन करने वालों का दण्ड हूँ और विजयेच्छुओं की नीति हूँ मैं गुह्यों में मौन हूँ और ज्ञानवानों का ज्ञान हूँ।।