अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।11.1।।
।।11.1।।(टिप्पणी प0 573.1) अर्जुन बोले -- केवल मेरेपर कृपा करनेके लिये ही आपने जो परम गोपनीय अध्यात्मतत्त्व जाननेका वचन कहा? उससे मेरा यह मोह नष्ट हो गया है।
।।11.1।। अर्जुन ने कहा -- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए जो परम गोपनीय? अध्यात्मविषयक वचन (उपदेश) आपके द्वारा कहा गया? उससे मेरा मोह दूर हो गया है।।