दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।।11.12।।
।।11.12।।अगर आकाशमें एक साथ हजारों सूर्य उदित हो जायँ? तो भी उन सबका प्रकाश मिलकर उस महात्मा(विराट्रूप परमात्मा) के प्रकाशके समान शायद ही हो।
The example of a 1000 suns is a mere illustration to show the degree of infinite splendour and radiance that the form of Lord Krishnas visvarupa or divine universal form displayed in ever increasing measure.