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Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 17

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 17

किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च
तेजोराशिं सर्वतोदीप्तिमन्तम्।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ता
द्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम्।।11.17।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.17।। मैं आपका मुकुटयुक्त? गदायुक्त और चक्रधारण किये हुये तथा सब ओर से प्रकाशमान् तेज का पुंज? दीप्त अग्नि और सूर्य के समान ज्योतिर्मय? देखने में अति कठिन और अप्रमेयस्वरूप सब ओर से देखता हूँ।।

Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary

Lord Krishnas visvarupa or divine universal form was like a blazing fire, like a dazzling sun, an all illuminating radiant effulgence. The word aprameyam denotes beyond compare.