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Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 30

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 30

लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ता
ल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं
भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो।।11.30।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.30)

।।11.30।।आप अपने प्रज्वलित मुखोंद्वारा सम्पूर्ण लोकोंका ग्रसन करते हुए उन्हों चारों ओरसे बारबार चाट रहे हैं और हे विष्णो आपका उग्र प्रकाश अपने तेजसे सम्पूर्ण जगत्को परिपूर्ण करके सबको तपा रहा है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.30।। हे विष्णो आप प्रज्वलित मुखों के द्वारा इन समस्त लोकों का ग्रसन करते हुए आस्वाद ले रहे हैं आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत् को तेज के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है।।