किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त
मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन
सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते।।11.46।।
।।11.46।।(टिप्पणी प0 607) मैं आपको वैसे ही किरीटधारी? गदाधारी और हाथमें चक्र लिये हुए देखना चाहता हूँ। इसलिये हे सहस्रबाहो विश्वमूर्ते आप उसी चतुर्भुजरूपसे हो जाइये।
।।11.46।। मैं आपको उसी प्रकार मुकुटधारी? गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। हे विश्वमूर्ते हे सहस्रबाहो आप उस चतुर्भुजरूप के ही बन जाइए।।