पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्िवनौ मरुतस्तथा।बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याऽश्चर्याणि भारत।।11.6।।
।।11.6।। हे भारत (मुझमें) आदित्यों? वसुओं? रुद्रों तथा अश्विनीकुमारों और मरुद्गणों को देखो? तथा और भी अनेक इसके पूर्व कभी न देखे हुए आश्चर्यों को देखो।।