इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम्।मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टुमिच्छसि।।11.7।।
।।11.7।। हे गुडाकेश आज (अब) इस मेरे शरीर में एक स्थान पर स्थित हुए चराचर सहित सम्पूर्ण जगत् को देखो तथा और भी जो कुछ तुम देखना चाहते हो? उसे भी देखो।।