अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रितः।
सर्वकर्मफलत्यागं ततः कुरु यतात्मवान्।।12.11।।
।।12.11।।अगर मेरे योग(समता) के आश्रित हुआ तू इस(पूर्वश्लोकमें कहे गये साधन) को भी करनेमें असमर्थ है? तो मनइन्द्रियोंको वशमें करके सम्पूर्ण कर्मोंके फलका त्याग कर।
।।12.11।। और यदि इसको भी करने के लिए तुम असमर्थ हो? तो आत्मसंयम से युक्त होकर मेरी प्राप्ति रूप योग का आश्रय लेकर? तुम समस्त कर्मों के फल का त्याग करो।।