सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।।
।।12.14।। जो संयतात्मा? दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है? जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है? जो ऐसा मेरा भक्त है? वह मुझे प्रिय है।।