क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम्।
अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते।।12.5।।
।।12.5।।अव्यक्तमें आसक्त चित्तवाले उन साधकोंको (अपने साधनमें) कष्ट अधिक होता है क्योंकि देहाभिमानियोंके द्वारा अव्यक्तविषयक गति कठिनतासे प्राप्त की जाती है।
।।12.5।। परन्तु उन अव्यक्त में आसक्त हुए चित्त वाले पुरुषांे को क्लेश अधिक होता है? क्योंकि देहधारियों से अव्यक्त की गति कठिनाईपूर्वक प्राप्त की जाती है।।