अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम्।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोन्यथा।।13.12।।
।।13.12।।अध्यात्मज्ञानमें नित्यनिरन्तर रहना? तत्त्वज्ञानके अर्थरूप परमात्माको सब जगह देखना -- यह (पूर्वोक्त साधनसमुदाय) तो ज्ञान है और जो इसके विपरीत है वह अज्ञान है -- ऐसा कहा गया है।
।।13.12।। अध्यात्मज्ञान में नित्यत्व अर्थात् स्थिरता तथा तत्त्वज्ञान के अर्थ रूप परमात्मा का दर्शन? यह सब तो ज्ञान कहा गया है? और जो इससे विपरीत है? वह अज्ञान है।।