उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुषः परः।।13.23।।
।।13.23।।यह पुरुष प्रकृति(शरीर) के साथ सम्बन्ध रखनेसे उपद्रष्टा? उसके साथ मिलकर सम्मति? अनुमति देनेसे अनुमन्ता? अपनेको उसका भरणपोषण करनेवाला माननेसे भर्ता? उसके सङ्गसे सुखदुःख भोगनेसे भोक्ता? और अपनेको उसका स्वामी माननेसे महेश्वर बन जाता है। परन्तु स्वरूपसे यह पुरुष परमात्मा कहा जाता है। यह देहमें रहता हुआ भी देहसे पर (सम्बन्धरहित) ही है।
।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा? अनुमन्ता? भर्ता? भोक्ता? महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।