उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुषः परः।।13.23।।
।।13.23।।यह पुरुष प्रकृति(शरीर) के साथ सम्बन्ध रखनेसे उपद्रष्टा? उसके साथ मिलकर सम्मति? अनुमति देनेसे अनुमन्ता? अपनेको उसका भरणपोषण करनेवाला माननेसे भर्ता? उसके सङ्गसे सुखदुःख भोगनेसे भोक्ता? और अपनेको उसका स्वामी माननेसे महेश्वर बन जाता है। परन्तु स्वरूपसे यह पुरुष परमात्मा कहा जाता है। यह देहमें रहता हुआ भी देहसे पर (सम्बन्धरहित) ही है।
।।13.23।। व्याख्या -- उपद्रष्टानुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः -- यह पुरुष स्वरूपसे नित्य है? सब जगह परिपूर्ण है? स्थिर है? अचल है? सदा रहनेवाला है (गीता 2। 24)। ऐसा होता हुआ भी जब यह प्रकृति और उसके कार्य शरीरकी तरफ दृष्टि डालता है अर्थात् उनके साथ अपना सम्बन्ध मानता है? तब इसकी उपद्रष्टा संज्ञा हो जाती है।यह हरेक कार्यके करनेमें सम्मति? अनुमति देता है। अतः इसका नाम अनुमन्ता है।यह एक व्यष्टि शरीरके साथ मिलकर? उसके साथ तादात्म्य करके अन्नजल आदिसे शरीरका पालनपोषण करता है शीतउष्ण आदिसे उसका संरक्षण करता है। अतः इसका नाम भर्ता हो जाता है।यह शरीरके साथ मिलकर अनुकूल परिस्थितिके आनेसे अपनेको सुखी मानता है और प्रतिकूल परिस्थितिके आनेसे अपनेको दुःखी मानता है। अतः इसकी भोक्ता संज्ञा हो जाती है।यह अपनेको शरीर? इन्द्रियाँ? मन? बुद्धि तथा धन? सम्पत्ति आदिका मालिक मानता है। अतः यह महेश्वर नामसे कहा जाता है।परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन् पुरुषः परः -- पुरुष सर्वोत्कृष्ट है? परम आत्मा है? इसलिये शास्त्रोंमें इसको परमात्मा नामसे कहा गया है। यह देहमें रहता हुआ भी देहके सम्बन्धसे स्वतः रहित है। आगे इसी अध्यायके इकतीसवें श्लोकमें इसके विषयमें कहा गया है कि यह शरीरमें रहता हुआ भी न करता है और न लिप्त होता है।इस श्लोकमें एक ही तत्त्वको भिन्नभिन्न उपाधियोंके सम्बन्धसे उपद्रष्टा आदि पदोंसे सम्बोधित किया गया है? इसलिये इन पृथक्पृथक् नामोंसे पुरुषके ही स्वरूपका वर्णन समझना चाहिये। वास्तवमें उसमें किसी प्रकारका भेद नहीं है। जैसे एक ही व्यक्ति देश? काल? वेश? सम्बन्ध आदिके अनुसार भिन्नभिन्न (पिता? चाचा? नाना? भाई आदि) नामोंसे पुकारा जाता है? ऐसे ही पुरुष भिन्नभिन्न नामोंसे पुकारा जानेपर भी वास्तवमें एक ही है। सम्बन्ध -- उन्नीसवें श्लोकसे बाईसवें श्लोकतक प्रकृति और पुरुषका विवेचन करके अब आगेके श्लोकमें उन दोनोंको तत्त्वसे जाननेका फल बताते हैं।