य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणैःसह।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते।।13.24।।
।।13.24।।इस प्रकार पुरुषको और गुणोंके सहित प्रकृतिको जो मनुष्य अलगअलग जानता है? वह सब तरहका बर्ताव करता हुआ भी फिर जन्म नहीं लेता।
।।13.24।। इस प्रकार पुरुष और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य जानता है? वह सब प्रकार से रहता हुआ (व्यवहार करता हुआ) भी पुन नहीं जन्मता है।।