यावत्सञ्जायते किञ्चित्सत्त्वं स्थावरजङ्गमम्।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धि भरतर्षभ।।13.27।।
।।13.27।।हे भरतवंशियोंमें श्रेष्ठ अर्जुन स्थावर और जंगम जितने भी प्राणी पैदा होते हैं? उनको तुम क्षेत्र और क्षेत्रज्ञके संयोगसे उत्पन्न हुए समझो।
।।13.27।। हे भरत श्रेष्ठ यावन्मात्र जो कुछ भी स्थावर जंगम (चराचर) वस्तु उत्पन्न होती है? उस सबको तुम क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से उत्पन्न हुई जानो।।