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Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 33
भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 33
यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते।
सर्वत्रावस्थितो देहे तथाऽऽत्मा नोपलिप्यते।।13.33।।
हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद
।।13.33।। जिस प्रकार सर्वगत आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता? उसी प्रकार सर्वत्र देह में स्थित आत्मा लिप्त नहीं होता।।
Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary