इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं सङ्घातश्चेतनाधृतिः।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम्।।13.7।।
।।13.7।।इच्छा? द्वेष? सुख? दुःख? संघात? चेतना (प्राणशक्ति) और धृति -- इन विकारोंसहित यह क्षेत्र संक्षेपसे कहा गया है।
।।13.7।। इच्छा? द्वेष? सुख? दुख? संघात (स्थूलदेह)? चेतना (अन्तकरण की चेतन वृत्ति) तथा धृति इस प्रकार यह क्षेत्र विकारों के सहित संक्षेप में कहा गया है।।