कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्।
रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्।।14.16।।
।।14.16।।(विवेकी पुरुषोंने) शुभकर्मका तो सात्त्विक निर्मल फल कहा है? राजस कर्मका फल दुःख कहा है और तामस कर्मका फल अज्ञान (मूढ़ता) कहा है।
।।14.16।। शुभ कर्म का फल सात्विक और निर्मल कहा गया है रजोगुण का फल दुख और तमोगुण का फल अज्ञान है।।