तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत।।14.8।।
।।14.8।। और हे भारत तमोगुण को अज्ञान से उत्पन्न जानो जो समस्त देहधारियों (जीवों) को मोहित करने वाला है। वह प्रमाद? आलस्य और निद्रा के द्वारा जीव को बांधता है।।
That by which one becomes obscure is called born of ajnana or non- awareness. This is what is indicated by the words alasya or indolence and nibhadhnati or iertia.