श्री भगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्।।15.1।।
।।15.1।।(टिप्पणी प0 741) श्रीभगवान् बोले -- ऊपरकी ओर मूलवाले तथा नीचेकी ओर शाखावाले जिस संसाररूप अश्वत्थवृक्षको अव्यय कहते हैं और वेद जिसके पत्ते हैं? उस संसारवृक्षको जो जानता है? वह सम्पूर्ण वेदोंको जाननेवाला है।
।।15.1।। श्री भगवान् ने कहा -- (ज्ञानी पुरुष इस संसार वृक्ष को) ऊर्ध्वमूल और अधशाखा वाला अश्वत्थ और अव्यय कहते हैं जिसके पर्ण छन्द अर्थात् वेद हैं? ऐसे (संसार वृक्ष) को जो जानता है? वह वेदवित् है।।