यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः।
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः।।15.18।।
।।15.18।।मैं क्षरसे अतीत हूँ और अक्षरसे भी उत्तम हूँ? इसलिये लोकमें और वेदमें पुरुषोत्तम नामसे प्रसिद्ध हूँ।
।।15.18।। क्योंकि मैं क्षर से अतीत हूँ और अक्षर से भी उत्तम हूँ? इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध हूँ।।