न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।।15.6।।
।।15.6।।उस(परमपद) को न सूर्य? न चन्द्र और न अग्नि ही प्रकाशित कर सकती है और जिसको प्राप्त होकर जीव लौटकर (संसारमें) नहीं आते? वही मेरा परमधाम है।
।।15.6।। उसे न सूर्य प्रकाशित कर सकता है और न चन्द्रमा और न अग्नि। जिसे प्राप्त कर मनुष्य पुन (संसार को) नहीं लौटते हैं? वह मेरा परम धाम है।।