इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम्।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्।।16.13।।
।।16.13।।इतनी वस्तुएँ तो हमने आज प्राप्त कर लीं और अब इस मनोरथको प्राप्त (पूरा) कर लेंगे।,इतना धन तो हमारे पास है ही? इतना धन फिर हो जायगा।
।।16.13।। मैंने आज यह पाया है और इस मनोरथ को भी प्राप्त करूंगा? मेरे पास यह इतना धन है और इससे भी अधिक धन भविष्य में होगा।।