तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्।
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु।।16.19।।
।।16.19।।उन द्वेष करनेवाले? क्रूर स्वभाववाले और संसारमें महान् नीच? अपवित्र मनुष्योंको मैं बारबार आसुरी योनियोंमें गिराता ही रहता हूँ।
।।16.19।। ऐसे उन द्वेष करने वाले? क्रूरकर्मी और नराधमों को मैं संसार में बारम्बार (अजस्रम्) आसुरी योनियों में ही गिराता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ।।