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Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 22

भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 22

एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः।
आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्।।16.22।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 16.22)

।।16.22।।हे कुन्तीनन्दन इन नरकके तीनों दरवाजोंसे रहित हुआ जो मनुष्य अपने कल्याणका आचरण करता है? वह परमगतिको प्राप्त हो जाता है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।16.22।। हे कौन्तेय नरक के इन तीनों द्वारों से विमुक्त पुरुष अपने कल्याण के साधन का आचरण करता है और इस प्रकार परा गति को प्राप्त होता है।।