दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।16.4।।
।।16.4।।हे पृथानन्दन दम्भ करना? घमण्ड करना? अभिमान करना? क्रोध करना? कठोरता रखना और अविवेकका होना भी -- ये सभी आसुरीसम्पदाको प्राप्त हुए मनुष्यके लक्षण हैं।
।।16.4।। हे पार्थ दम्भ? दर्प? अभिमान? क्रोध? कठोर वाणी (पारुष्य) और अज्ञान यह सब आसुरी सम्पदा है।।