दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता।
मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव।।16.5।।
।।16.5।। हे पाण्डव दैवी सम्पदा मोक्ष के लिए और आसुरी सम्पदा बन्धन के लिए मानी गयी है? तुम शोक मत करो? क्योंकि तुम दैवी सम्पदा को प्राप्त हुए हो।।
Lord Krishna encourages His devotee to grieve not or be despondent at the thought that he may not be qualified enough, for without a doubt he is born of the divine nature.