देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।
ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते।।17.14।।
।।17.14।।देवता? ब्राह्मण? गुरुजन और जीवन्मुक्त महापुरुषका पूजन करना? शुद्धि रखना? सरलता?,ब्रह्मचर्यका पालन करना और हिंसा न करना -- यह शरीरसम्बन्धी तप कहा जाता है।
।।17.14।। देव? द्विज (ब्राह्मण)? गुरु और ज्ञानी जनों का पूजन? शौच? आर्जव (सरलता)? ब्रह्मचर्य और अहिंसा? यह शरीर संबंधी तप कहा जाता है।।