तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।
ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा।।17.23।।
।।17.23।।? तत् और सत् -- इन तीनों नामोंसे जिस परमात्माका निर्देश किया गया है? उसी परमात्माने सृष्टिके आदिमें वेदों? ब्राह्मणों और यज्ञोंकी रचना की है।
।।17.23।। व्याख्या -- तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः -- ? तत् और सत् -- यह तीन प्रकारका परमात्माका निर्देश है अर्थात् परमात्माके तीन नाम हैं (इन तीनों नामोंकी व्याख्या भगवान्ने आगे के चार श्लोकोंमें की है)। ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा -- उस परमात्माने पहले (सृष्टिके आरम्भमें) वेदों? ब्राह्मणों और यज्ञोंको बनाया। इन तीनोंमें विधि बतानेवाले वेद हैं? अनुष्ठान करनेवाले ब्राह्मण हैं और क्रिया करनेके लिये यज्ञ हैं। अब इनमें यज्ञ? तप? दान आदिकी क्रियाओंमें कोई कमी रह जाय? तो क्या करें परमात्माका नाम लें तो उस कमीकी पूर्ति हो जायगी। जैसे रसोई बनानेवाला जलसे आटा सानता (गूँधता) है? तो कभी उसमें जल अधिक पड़ जाय? तो वह क्या करता है आटा और मिला लेता है। ऐसे ही कोई निष्कामभावसे यज्ञ? दान आदि शुभकर्म करे और उनमें कोई कमी -- अङ्गवैगुण्य रह जाय? तो जिस भगवान्से यज्ञ आदि रचे गये हैं? उस भगवान्का नाम लेनेसे वह अङ्गवैगुण्य ठीक हो जाता है? उसकी पूर्ति हो जाती है।