अर्जुन उवाच
संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्।
त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।18.1।।
।।18.1।। अर्जुन ने कहा -- हे महाबाहो हे हृषीकेश हे केशनिषूदन मैं संन्यास और त्याग के तत्त्व को पृथक्पृथक् जानना चाहता हूँ।।
Hari OM! In this final chapter the Supreme Lord Krishna summarises in brief all of the perennial principles and eternal truths that were presented in the previous 17 chapters and establishes the collective conclusion to all of them.