ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना।
करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसंग्रहः।।18.18।।
।।18.18।।ज्ञान? ज्ञेय और परिज्ञाता -- इन तीनोंसे कर्मप्रेरणा होती है तथा करण? कर्म और कर्ता -- इन तीनोंसे कर्मसंग्रह होता है।
।।18.18।। ज्ञान? ज्ञेय और परिज्ञाता ये त्रिविध कर्म प्रेरक हैं और? करण? कर्म? कर्ता ये त्रिविध कर्म संग्रह हैं।।