नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते।।18.23।।
।।18.23।।जो कर्म शास्त्रविधिसे नियत किया हुआ और कर्तृत्वाभिमानसे रहित हो तथा फलेच्छारहित मनुष्यके द्वारा बिना रागद्वेषके किया हुआ हो? वह सात्त्विक कहा जाता है।
।।18.23।। जो कर्म (शास्त्रविधि से) नियत और संगरहित है? तथा फल को न चाहने वाले पुरुष के द्वारा बिना किसी राग द्वेष के किया गया है? वह (कर्म) सात्त्विक कहा जाता है।।