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Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 38

भगवद् गीता अध्याय 18 श्लोक 38

विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्।
परिणामे विषमिव तत्सुखं राजसं स्मृतम्।।18.38।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 18.38)

।।18.38।।जो सुख इन्द्रियों और विषयोंके संयोगसे आरम्भमें अमृतकी तरह और परिणाममें विषकी तरह होता है? वह सुख राजस कहा गया है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।18.38।। जो सुख विषयों और इन्द्रियों के संयोग से उत्पन्न होता है? वह प्रथम तो अमृत के समान? परन्तु परिणाम में विष तुल्य होता है? वह सुख राजस कहा गया है।।