यदग्रे चानुबन्धे च सुखं मोहनमात्मनः।
निद्रालस्यप्रमादोत्थं तत्तामसमुदाहृतम्।।18.39।।
।।18.39।।निद्रा? आलस्य और प्रमादसे उत्पन्न होनेवाला जो सुख आरम्भमें और परिणाममें अपनेको मोहित करनेवाला है? वह सुख तामस कहा गया है।
।।18.39।। जो सुख प्रारम्भ में और परिणाम (अनुबन्ध) में भी आत्मा (मनुष्य) को मोहित करने वाला होता है? वह निद्रा? आलस्य और प्रमाद से उत्पन्न सुख तामस कहा जाता है।।