ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परंतप।
कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः।।18.41।।
।।18.41।।हे परंतप ब्राह्मण? क्षत्रिय? वैश्य और शूद्रोंके कर्म स्वभावसे उत्पन्न हुए तीनों गुणोंके द्वारा विभक्त किये गये हैं।
।।18.41।। हे परन्तप ब्राह्मणों? क्षत्रियों? वैश्यों और शूद्रों के कर्म? स्वभाव से उत्पन्न गुणों के अनुसार विभक्त किये गये हैं।।