असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः।
नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां संन्यासेनाधिगच्छति।।18.49।।
।।18.49।। सर्वत्र आसक्ति रहित बुद्धि वाला वह पुरुष जो स्पृहारहित तथा जितात्मा है? संन्यास के द्वारा परम नैर्ष्कम्य सिद्धि को प्राप्त होता है।।
Perfection in renunciation entails relinquishing all desires for rewards thereof which is perfect equanimity. Perfection in renunciation of actions is abandoning all actions not connected to the Supreme Lord Krishna.